भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी प्रमुख रेपो दर को स्थिर रखते हुए एक बेहतरीन कदम उठाया है।
इससे पहले आरबीआई ने छह बार दरों में वृद्धि की थी, लेकिन इस बार विश्वव्यापी वित्तीय अस्थिरता के कारण आरबीआई ने दरों में बदलाव करने की जगह स्थिरता बनाई रखने का फैसला लिया है। आरबीआई ने बताया कि वह वित्तीय स्थिरता की चिंताओं से पहले ही मुक्त हो चुकी है।
आरबीआई के गवर्नर ने यह भी बताया कि यदि आवश्यक हो तो दरों में बढ़ोतरी का फैसला लिया जा सकता है। अधिकांश विश्लेषकों ने आरबीआई से 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी की उम्मीद की थी, लेकिन यह समझ में आ रहा है कि आरबीआई ने दरों में स्थिरता बनाई रखने के लिए इस फैसले को लिया है।
यदि आप RBI के ताजा रुख को देखें तो आप देखेंगे कि दरों में बढ़ोतरी को दीर्घकालिक लक्ष्य की ओर बढ़ाया गया है, जिससे पूरे FY24 के दौरान यह रुख जारी रहेगा। देश में तरलता की स्थिति अभी भी कठोर बनी हुई है। कुछ दबाव शॉर्ट टर्म यील्ड में उत्पन्न हो सकता है। लगता है कि आरबीआई पहले ही वित्तीय स्थिरता की चिंताओं से मुक्त हो चुका है। एमपीसी ने अपने 250 बीपीएस दर वृद्धि के प्रभाव का आकलन किया है।