देशभर में आज (25 दिसंबर) को क्रिसमस का त्योहार मनाया जा रहा है। रात 12 बजे देश के सभी चर्चों में प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन की सूचना दी गई। इसके बाद केक काटकर लोगों ने मैरी क्रिसमस विश किया और जश्न मनाया। रंग-बिरंगी रोशनी, लेजर लाइट, कैंडिल्स और फूलों से सजे चर्चों में लोगों ने क्रिसमस सेलिब्रेट किया।चर्च के अलावा होटल्स और रेस्टोरेंट में भी क्रिसमस का जश्न मनाया गया। गाला डिनर, डांस, म्यूजिक, कैम्प फायर, डीजे, जैसी एक्टिविटी ने क्रिसमस के सेलिब्रेशन में और भी खास बनाया।
![]() |
ajpnews.com |
इसके अलावा सैंटा क्लॉज ने बच्चों को गिफ्ट और चॉकलेट बांटी। क्रिसमस से एक दिन पहले रविवार होने के कारण कई लोग घूमने के लिए हिल स्टेशन निकल गए। शिमला, देहरादून, नैनीताल जैसी जगहों पर पर्यटकों की भीड़ उमड़ी।
मध्यप्रदेश के उज्जैन में कैथोलिक चर्च में रात 12 बजे प्रेयर हुई। प्रभु यीशु के जन्म की सूचना के साथ लोगों ने क्रिसमस का जश्न मनाया। चर्च में अलग-अलग रंग की लाइट्स लगाई गई।
झारखंड के रांची के कैथोलिक चर्च में भी यीशु के जन्म के दौरान प्रेयर हुई। यीशु के जन्म की आकर्षक झांकी भी सजाई गई।
![]() |
ajpnews.com |
राजस्थान के अजमेर के चर्च में लोगों ने अपने परिवार के साथ पहले प्रेयर की। फिर क्रिसमस के लिए बनी झांकी को अपने फोन के कैमरों में कैद किया।
मिजोरम की राजधानी आइजॉल में चर्च के साथ-साथ स्ट्रीट्स को भी सजाया गया। लोगों ने अपने घरों में भी लाइट्स लगाईं। इससे पूरा शहर जगमगा गया।
मान्यता है कि सैंटा का घर उत्तरी ध्रुव पर है और वे उड़ने वाले रेनडियर्स की गाड़ी पर चलते हैं। आज से डेढ़ हजार साल पहले जन्मे संत निकोलस को असली सैंटा माना जाता है। संत निकोलस का जन्म तीसरी सदी में जीसस की मौत के 280 साल बाद मायरा में हुआ। वे एक रईस परिवार से थे।
बचपन से ही संत निकोलस की प्रभु यीशु में बहुत आस्था थी। वे बड़े होकर ईसाई धर्म के पादरी (पुजारी) और बाद में बिशप बने। उन्हें जरूरतमंदों और बच्चों को गिफ्ट्स देना बहुत अच्छा लगता था।